Sunday, September 21, 2008

चल रहा हूँ मैं तलाश में जिंदगी की..

चल रहा हूँ मैं तलाश में जिंदगी की, और यूँ ही ख़त्म हो रही है जिंदगी मेरी,
ना तलाश हुई मेरी पूरी अब तक, ना रुकी जिंदगी तलाश के इंतजार में,
हर वक्त कुछ नया करने का नशा, जुनून की तरह सवार है मुझ पर,
कुछ पाने की कोशिश में भटक रहा हूँ मैं इस दुनिया की भीड़ में,
कुछ नाम छोड़ जाने की कोशिश में, खुद को ही शायद भुला रहा हूँ मैं,
थोडी पहचान बनाने की खातिर, खुद को मिटा रहा हूँ मैं,
और तलाश तो ये पूरी हो नहीं रही, पर शायद ख़त्म हो रही है जिंदगी मेरी.............

9 comments:

Advocate Rashmi saurana said...

bhut badhiya. jari rhe.

MANVINDER BHIMBER said...

चल रहा हूँ मैं तलाश में जिंदगी की, और यूँ ही ख़त्म हो रही है जिंदगी मेरी,
ना तलाश हुई मेरी पूरी अब तक, ना रुकी जिंदगी तलाश के इंतजार में,
हर वक्त कुछ नया करने का नशा, जूनून की तरह सवार है मुझ पर
dil ko chu gai hai rachana

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया लिखा है।

कुछ नाम छोड़ जाने की कोशिश में, खुद को ही शायद भुला रहा हूँ मैं,
थोडी पहचान बनाने की खातिर, खुद को मिटा रहा हूँ मैं,

Anonymous said...

जि़न्‍दगी खत्‍म नहीं होती
विचार इकट्ठे होते हैं
चाहे हम जग रह हों
या सपनों में रहते हैं

Anwar Qureshi said...

NIRAASH MAT HOIYE ..HAALAT EK DIN ZARUR BADLENGE..BAHUT ACCHA LIKHA HAI AAP NE ...

Anonymous said...

aapki abhivykti ne hmare mn pr raj kr liya ..... sukriya...

Udan Tashtari said...

अच्छा लेखन है. नियमित लिखें.

dp2web said...
This comment has been removed by the author.
dp2web said...

ekdum bindaas hai.. jari rho...