चल रहा हूँ मैं तलाश में जिंदगी की, और यूँ ही ख़त्म हो रही है जिंदगी मेरी,
ना तलाश हुई मेरी पूरी अब तक, ना रुकी जिंदगी तलाश के इंतजार में,
हर वक्त कुछ नया करने का नशा, जुनून की तरह सवार है मुझ पर,
कुछ पाने की कोशिश में भटक रहा हूँ मैं इस दुनिया की भीड़ में,
कुछ नाम छोड़ जाने की कोशिश में, खुद को ही शायद भुला रहा हूँ मैं,
थोडी पहचान बनाने की खातिर, खुद को मिटा रहा हूँ मैं,
और तलाश तो ये पूरी हो नहीं रही, पर शायद ख़त्म हो रही है जिंदगी मेरी.............
9 comments:
bhut badhiya. jari rhe.
चल रहा हूँ मैं तलाश में जिंदगी की, और यूँ ही ख़त्म हो रही है जिंदगी मेरी,
ना तलाश हुई मेरी पूरी अब तक, ना रुकी जिंदगी तलाश के इंतजार में,
हर वक्त कुछ नया करने का नशा, जूनून की तरह सवार है मुझ पर
dil ko chu gai hai rachana
बढिया लिखा है।
कुछ नाम छोड़ जाने की कोशिश में, खुद को ही शायद भुला रहा हूँ मैं,
थोडी पहचान बनाने की खातिर, खुद को मिटा रहा हूँ मैं,
जि़न्दगी खत्म नहीं होती
विचार इकट्ठे होते हैं
चाहे हम जग रह हों
या सपनों में रहते हैं
NIRAASH MAT HOIYE ..HAALAT EK DIN ZARUR BADLENGE..BAHUT ACCHA LIKHA HAI AAP NE ...
aapki abhivykti ne hmare mn pr raj kr liya ..... sukriya...
अच्छा लेखन है. नियमित लिखें.
ekdum bindaas hai.. jari rho...
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