Wednesday, October 22, 2008

सूरज तुम जलते रहना, सूरज तुम जलते रहना,

This is the very first few line of my writing, It was in September 2002.

सूरज तुम जलते रहना, सूरज तुम जलते रहना,
तुम्ही से जीवन, तुम्ही से तन मन,तुम्ही से धूप और ये छाँव,
दिन और ये रात तुमने बनाए, प्रक्रति की कैसी लालिमा दिखाई,
दिया तुमने हमको ये जीवन निराला, जो तुम पर है निर्भर मांगे तुम्हारा उजाला,
आखिर क्यों तुमको पड़ता है जलकर भी जीना, क्या आता नहीं कभी तुम्हे पसीना,
क्यों तुम्हे दूसरों के लिए तडपना, क्या कोई नहीं है तुम्हारी सुनने वाला,
या कोई अन्य ही है कारण, या ये जलता ही है अकारण,
इसी उधेड़बुन में मैं हो गया परेशान, पर जल्द ही मिल गया मुझे समाधान,
उसी रात सूरज मेरे सपने मैं आया, उसने मुझे ये समझाया,
अरे अपने लिए तो सबको है जीना, बहाए जो दूसरों के लिए पसीना,
जो आए दूसरों के सदा काम, वही है सचमुच महान,
यही सोच कर मैं जलता हूँ, इसलिए ही उजाला करता हूँ,
सूरज के ऐसे विचार सुनकर, मैं बैठ गया बिस्तर से उठकर,
मन मैं सूरज के लिए श्रधा के भाव जागे, हम मनुष्य कुछ भी नहीं सूरज के आगे,
हमे भी चाहिए कुछ ऐसे जीना, की किसी के काम आए अपना पसीना,
तभी हम सचे मनुष्य कहलाएंगे, अपना जीवन सफल कर जाएंगे....................

Tuesday, October 21, 2008

समय का बीतना तो एक सत्य है



समय का बीतना तो एक सत्य है,
उस पर विचार का कोई औचित्‍य नही है,
विचार तो इस बात पर होना चाहिए कि,
बीते हुए समय ने हमें क्या दिया,
मीठे यादें, सुनहरे सपने, कुछ ज्ञान,कुछ विज्ञान,
अजनबी लोग, अनुभव,कुछ असफ़लताएं, कुछ सफ़लताएं,
और ऎसा बहुत कुछ जो इस जीवन के लिए जरूरी था..........



This image is provided by Madhur kashyap. See his other arts at http://physiologoius.deviantart.com.

Saturday, October 11, 2008

मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं........



मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,
सर्वश्रेष्ठ हूँ मैं, हर पंथ (religion) को मैं सर्वश्रेष्ठ ही पाऊँ,

कभी मैं कृष्ण को अपना कहूं, कभी मैं राम का हो जाऊं,
कभी महावीर मुझे अपने लगे, कभी मैं बुद्ध की शरण में जाऊं,
देवी से मिन्नतें करू, साईं की भी कृपा मैं मांगू,
पैगम्बर पर भी मथ्था टेकू, इशु को भी गले लगा लूं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

कभी मैं देखो मंदिर जाऊं, कभी ना मंदिर को अपनाऊं,
फिर भी मैं चर्च-पीर के आगे शीश अक्सर झुकाकर जाऊं,
गीता मुझसे तुम पढ़वाओ, चाहे रामायण का पाठ करालो,
कुरान-बाइबल को भी मैं गीता-रामायण जैसा ही तो पाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,


तुलसी स्वास्थ्यवर्धक है, इसलिए उसको पूज कर आऊं,
प्रक्रति पर हम निर्भर है, देव उनको मैं इसलिए बताऊँ,
अन्याय के खिलाफ लडो,रामायण-गीता में मैं ये सिखलाऊं,
गलत कुछ भी करने से पहले, मैं उस का डर दिल में पाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

होली पर रंगों से खेलूँ और दीवाली दीप जलाऊं,
नवरात्रों में देवी को पूजूं, दशहरे पर रावन को फून्कूं,
फसले आने पर पर लोहणी और बसंत मनाऊं,
ईद-क्रिसमस भी मैं होली और दीवाली बनाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,


बुरा मुझे बुरा लगे, हिन्दू हो या कोई और हो,
भला मुझे भला लगे, हिन्दू हो या कोई और हो,
हिंदुत्व मुझे यही सिखाता, भले को अपनाकर बुरे से दूर जाऊं,
जीवन अपना इसलिए है की किसी के काम आऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

गर्व है मुझको हिदुत्व पर जिसने मुझको ये समझाया,
बुरा ना कोई होता,दिल में सबके प्रेम है,
कुछ लोगो की चालें है ये, दिलो में जो ना मेल है,
इन चालों को मिटाता जाऊं, मैं बस प्यार बढाता जाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

कोई कहे पचपन करोड़, कोई कहे एक सौ करोड़ देवता है,
चार वेद,अठारह पुराण,एक सौ आठ उपनिषद कुछ स्मृतियां भी हैं,
रामायण, महाभारत,गीता और न जाने कितने है,
वो एक रूप अनेक, अन्याय से लड़ और कर्म कर बस मैं तो ये ही बतलाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

धरम के नाम पर मैंने भी बहुत सी रूढियां लिखी है,
सच है ये की कभी मैंने भी लोगो से खिलवाड़ किए,
धरम की ही सीख से मैं आत्मा की सुन पाऊं,
डरूं नहीं, झुकूं नहीं बस सही को ही अपनाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

सभ्यता का बड़ा समुन्दर है मुझको ये है समझाने को,
वो है एक रूप अनेक, ना कोई बड़ा और ना कोई है छोटा,
कर्म-धर्म सब यहीं है फलने, किसी को भी चाहे अपनाऊँ,
उसको पूजूं या ना पूजूं, हर जान बस एक इंसान को ही पाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

माँ-बाप मेरे हिन्दू है , मैं भी हिन्दू कहलाया,
सब धर्मो का आदर यहाँ, सब को सम्मान मैं दे पाऊं,
धर्म की सीख से ही भगवान् से पहले भी मैं इंसानियत को पूज पाऊं,
आज़ादी है मुझको यहाँ किसी को भी मैं अपनाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं मन की मैं करता ही जाऊं,

साम्प्रदायिकता के नाम पर हिन्दू का देखो जो विरोध जताते हैं,
धर्म का मतलब जीवन दर्शन, ये वो समझ न पाते हैं,
जिन लोगो को ज्ञात नहीं खुद के जीने का मतलब,
उनकी बातों को मैं लोगो क्यों अपने दिल से लगाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं मन की मैं करता ही जाऊं,

धर्म का अर्थ जीवन दर्शन है, ये कैसे मैं समझाऊं,
रास्ते इनेक मंजिल है एक, ये मैं कैसे दिखलाऊं,
सबकी अपनी कोशिश है उस तक पहुँच पाने की,
सबकी कोशिश को देखो मैं सही रास्ता दिखलाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं मन की मैं करता ही जाऊं...........


I liked the thoughts on this post http://hrudyanjali.blogspot.com/2008/10/blog-post_11.html and http://hrudyanjali.blogspot.com/2008/10/blog-post_7859.html
and after that wrote this.

The above picture have been designed by Madhur Kashayap, who is working with me in Freescale. I would like to thank him for let me using this picture for the post.

SACHIN JAIN

Tuesday, October 07, 2008

मुश्किलें जीने का सहारा बन गई.......

मुश्किलें जीने का सहारा बन गई,
जिस दिन जीवन की हकीकत समझ आई मुझे,
सोचा ना तकलीफें आई तो क्या जिन्दगी बिताई ,
ना इम्तहान देने पड़े इस जीवन में तो ,
अपने जीने का मतलब ही क्या रह जाएगा ,
पूरा करने की कोशिश में इन इम्तहानो को ,
कुछ ख्वाब बन ही जाते हैं ,
और अक्सर ख्वाब टूट जाया करते हैं ,
पर क्या ख्वाब टूटने से इंसान भी टूट जाते हैं,

मेरे ख्याल में नहीं …………

ख्वाब टूटने से एक अनुभव जुड़ता हे ,
जोश दुगना करके फिर से ख्वाब पूरा करने की कोशिश करनी पड़ती हे ,
फिर कुछ ख्वाब टूट जाते हैं कुछ पूरे हो जाते हैं ,
यही ख्वाब ही तो जीवन को मकसद देते हैं ,
नहीं तो बिना मकसद ये जीवन किस काम का ,
जब हमे ना ये पता की हम कहाँ से आए हैं ,
और ना ये पता की कहाँ जाना हे ,
जिए जाते हैं हम सब जिए जाते हैं …..
बस शायद इन ख्वाबों को पूरा करने को ,
जिए जाते हैं…………………..

सचिन जैन

Monday, October 06, 2008

जिन्दगी बहुत से इम्तहान लेती है..........

जिन्दगी बहुत से इम्तहान लेती है ,
कई बार तो बिलकुल तोड़ देती है,
सभी ख्वाइशें पल में बिखर जाती हैं,
सभी चाहतें दिल में दबी रह जाती हैं,
कुछ ना कर पाए ऐसे उलझ जाते हैं,
हम इन्सान तो कुछ समझ ना पाते हैं ,
खुद पर यंकी करना और लड़ते रहना ,
हम इंसानों का यही तो हे काम ,
हिम्मत और धेर्य ही तो बनाते जीवन महान ,
इम्तहान तो जीवन के साथ लगे ही रहेंगे,
बिना इनके तो जीवन सूना ही रहेगा ,
हर इम्तहान मुस्कराकर देना है,
हर समय कुछ नया करने की सोचना,
हो जाए तो ठीक वर्ना फिर एक नई तम्मना,
ये तम्म्नाए ही तो जीवन को नया रूप देंगी,
एक अलग पहचान इस जीवन की छोड़ देंगी...........

Sunday, October 05, 2008

समय का बीतना........

समय का बीतना तो एक सत्य है ,
उस पर विचार का कोई औचित्‍य नहीं है,
विचार तो इस बात पर होना चाहिए कि,
बीते हुए समय ने हमें क्या दिया,
मीठी यादें, सुनहरे सपने,
कुछ ज्ञान, कुछ विज्ञान, अजनबी लोग,
अनुभव,कुछ असफ़लताएं, कुछ सफ़लताएं,
और ऎसा बहुत कुछ जो इस जीवन के लिए जरूरी था.......................

सचिन जैन