Friday, September 26, 2008
जैसे जैसे बारिश की बूंदे जमीन पर पड़ती हैं...
जैसे जैसे बारिश की बूंदे जमीन पर पड़ती हैं,
वैसे ही एक नशा सा दिल में उतरने लगता है,
इस सुहाने मदहोश मौसम में ,
बिना पीए भी तन ये बहकने लगता है,
बस आँखे बंद करके सोचते रहो किसी के बारे में,
दिल तो बस हर बार यही कहने लगता है ,
बदन से एक भीनी सी खुसबू आती है,
जीवन भी महकने सा लगता है,
होठों को रखकर खामोश हमेशा के लिए,
आँखों से बातें करने का दिल करता है,
जैसे लुटा रहा है आसमान बूंदों को ,
किसी पर अपना प्यार लुटाने का दिल करता है,
कुछ नए अरमान जगाकर इस भीगे मौसम में,
किसी को अपना बनाना का दिल करता है,
पड़-पड़ की आवाज़ सुनकर बूंदों की ,
धक-धक सा दिल ये बार-बार करता है,
दीवाना कहीं में हो ना जाऊं इस मौसम में,
दिल को डर हर बार यही लगता है………………
SACHIN JAIN
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1 comment:
badhiya likha hai badhai..
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