Saturday, September 15, 2007
अनुभव जिन्दगी की बारीकियों का,...
अनुभव जिन्दगी की बारीकियों का,
अक्सर परेशानियों में हुआ करता है,
जैसे बचपन के दिनो का मजा,
नादानियों में हुआ करता है,
परेशानियों में जब अपनो की जरूरत आती है,
अक्सर आजमाईश हो ही जाया करती है,
इस दौर में कई बार ऎसा होता है,
कि गलतफ़हमियां टूट जाया करती है,
समय भी अक्सर अपने गुल दिखाता है,
कभी मजमा लगाता है, कभी मातम सुनाता है,
रास्ते बदलकर लोग जिन गलियों से निकले थे कभी,
अब वो उन गलियों से बचने को वे अपने रास्ते बदलते हैं
पूरा सा लगता ख्वाब जब टूट जाता है,
अक्सर नींद आँखो से उडं जााती है,
हंसने का बहाना मिल जाता है दुनिया को,
मुसकराकर कोई जब अपने गम छिपाता है,
जब दिमाग झटक देता है दिल की बातो को,
अक्सर दिल में कई सवाल उठ जाया करते हैं,
जब जिन्दगी टूट कर बिखर सी जाती है,
अक्सर जज्बात सिमट ही जाया करते हैं.....
सचिन जैन
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6 comments:
nice one... the best part is the photo. matches the title perfectly. lage raho bandhu.
hmmm...seems you have written it by heart...purely touching and truthful...i liked...
Another Blast.... I dont im write or wrong, But for each of ur Poetry I get the same central Idea
Akhilesh
Another blast.. I dont know Im right or wrong But i get same central Idea of most of the ur poetries .
HI Bhaiya...
Iff all the shown work is ur original one than ...
main to aapka fan hogaya bhaiya.....Gr8 work.....
haan bhai ye sab mera original work hai...........par tum ho kaun? please reveal ur identity
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