Monday, June 25, 2007

दिल की बाते दिल में रह गई, हम कुछ भी ना कह पाए,


दिल की बाते दिल में रह गई, हम कुछ भी ना कह पाए,
कह देते तो शायद हम भी, इस प्यार का अनुभव पा जाते,
न्योछावर कर के उन पर सब कुछ, इस जहाँ को भूल जाते,
बाँहो में लेकर उनको हम,दिल की बात सुनाया करते,
छुप-छुप कर देखा करते,कुछ कहने की कभी कोशिश करते,
कह देते तो शायद हम भी, आशिक-वाशिक कहलाते,

रोज वो मेरे सपनो में आते,रोज उनको दिल की बाते बताते,
कुछ लिखते दिल की बाते, कुछ कविता कहने की कोशिश करते,
आँखे उनको ढूंढा करती, मन चंचल सा फ़िरता रहता,
कह देते तो शायद हम भी, शायर-वायर कहलाते,

चाँद पर कभी घर बनाते, कभी तारे तोड़ने की कोशिश करते,
कभी उनकी बातो पर रूठ जाते, कभी प्यार से उनको मनाते,
जाग-जाग कर राते कटती, दिल में हलचल हरदम रहती,
कह देते तो शायद हम भी, कुछ मीठी यादें पा जाते,

बहुत मुश्किल है इस दुनिया में सच्चा चाहने वाला मिलना,
मिल जाते हम उनको तो, वो अपनी किस्मत पर इतराते,
दुनिया बहुत जालिम है, ये हमको ना मिलने देती,
कह देते तो शायद हम भी, मँजनू-राझां कहलाते,

दिल की बाते दिल में रह गई, हम कुछ भी ना कह पाए,
कह देते तो शायद हम भी, इस प्यार का अनुभव पा जाते……………….
सचिन जैन

1 comment:

Divine India said...

Simply marvellous...
बहुत शानदार रचना लिखी है…क्या बिछोह को दर्शाया है…अनुराग को व्यक्त किया है सब कुछ लिख डाला थोड़े से शब्दों में।