Tuesday, April 09, 2019

युगांधर मोदी - युग परिवर्तन करने वाला

युगांधर  मोदी - युग परिवर्तन करने वाला

आएगा आएगा मोदी आएगा ,
युग को बदलने भारत को विश्व में पहचान दिलाने मोदी आएगा ,

सारे देश में सड़के बनाने , सारे देश को हवाई यात्रा कराने ,
मेक इन इंडिया दुनिया मैं पहुँचाने, पूरे भारत को स्वच्छ बनाने,
हर गरीब का घर बनवाने, हर घर मैं गैस पहुँचाने,
हर मानव का बिमारियों से इलाज कराने ,
मजदूरों को हक़ दिलवाने , स्वरोजगार को प्रबल बनाने आएगा आएगा मोदी आएगा ,

आएगा आएगा मोदी आएगा ,

दुश्मनो को मोदी आँखे दिखाएगा , पकिस्तान को उसकी औकात समझाएगा,
सेना का मान बढ़ाएगा, विश्व पटल पर भारत की सैन्य शक्ति का परचम लहराएगा ,
टुकड़े टुकड़े गैंग सब बिल मैं घुस जाएंगे, भारत में रहकर डरने वाले सब गायब हो जाएंगे ,
पथरबाजो का ना नामोनिशान रह जाएगा, कहीं भी भारत में ना पाकिस्तान का झंडा लहराएगा ,
विश्व गुरु भारत की पुरानी पहचान को , मोदी फिर से वापस लाएगा ,

आएगा आएगा मोदी आएगा ,

घोटालो बाजो को जेल भिजवाने , काला धन सब सरकारी खजाने में पहुँचाने ,
लूटरों को सबक सिखाने, सबसे देश की सेवा कराने,
नीरव, माल्या जैसो को विदेश से पकड़कर लाने,
सरकारी अधिकारीयों को उनका काम याद दिलाने,
हर युवा के सपने को सच में बदलने का विश्वास दिलाने,
नए भारत की उम्मीदों को सच का  जामा पहनाने,


आएगा आएगा मोदी आएगा ,

जाती पाती धरम करम सब लोगो को भुलाने ,
विकास के नाम पर नए भारत की राजनीती कराने, 
सबका साथ सबका विकास का नारा बुलंद कराने, 
पूरे देश में सिस्टम  बनाने, हर सकारी रुपया गरीब  तक पहुँचाने,
हर किसी को भारत के ऊपर गर्व हो , ऐसा एक भारत बनाने ,


आएगा आएगा मोदी आएगा ,

सचिन जैन
१०-४-२०१९ 

Saturday, May 19, 2012

Monday, October 31, 2011

जीवन के इस सफ़र में एक नई सी डगर है,

जीवन के इस सफ़र में एक नई सी डगर है,
नई सी एक मंजिल है, नया सा कुछ अहसास है,
हर वक़्त मुझे अब तो चाहत का है नशा सा,
कुछ हूँ मैं खोया सा कुछ हूँ मैं बहका सा,
बन रही है नई आशाएं और एक विश्वास भी है,
मंजिल मिल ही जाएंगी ये एक अहसास भी है....:)

Saturday, October 01, 2011

विरोध कुछ नया करने की प्रेरणा दे जाता है

विरोध कुछ नया करने की प्रेरणा दे जाता है
जिस तरह घर्षण से ही गाडी चल पाती है,

ना अनुभव ना श्रेष्टता ना भाषा इससमे काम आए,
मन में हिया अगर विचार अच्छे तभी कविता कोई लिख पाए,
ना छोटा ना कोई बड़ा सभी एक सामान पाए,
दर्द दूसरों का मससूस हो तभी कविता बन पाए,

Friday, July 29, 2011

आते जाते राहो में, दिल्लगी की बाहों में,

आते जाते राहों में, दिल्लगी की बाहों में
हमको ये ख्याल आता है, क्या इन जिंदगी की राहों में हमको भी कोई अजनबी मिलेगा
सोचते है हम कोई तो मिलेगा राहों में,पहला प्यारा होगा पहला नशा होगा,
पहली बार होंगे हम किसी की बाहों में,
कोई तो कहेगा हमें अपना, हम भी होंगे किसी का सपना,
कोई तो होगा जिसे होगा हमारा ख्याल, कोई तो पूछेगा हमसे ये सवाल " कहो ना प्यार है",
बस अब उसी का है हमको इंतजार, उस्सी के लिए है दिल बेकरार,
सोचता हूँ सोचते कट ना जाए, ये दिन, ये रात और ये रास्ते,
ना रह जाए मेरी सोच सिर्फ एक सपना,
यही सोच के दिल डरता है,
पर कहीं ना कहीं इस दिल को है यकीं ,
कहीं ना कहीं तो कोई होगा , जो देख रहा होगा हमारा सपना....

10 -03 -2002
सचिन जैन


आते जाते राहो में, दिल्लगी की बाहों में,
हमको ये ख्याल आया है,
इन जिंदगी की राहो में हमने भी एक अजनबी को पाया है,
सोच रहे है, पहला प्यार है, पहला नशा है, पहला गजब का ये अहसास है,
कोई कह रहा है हमें अपना, हम भी है किसी का सपना,
कोई है जिससे है हमारा ख्याल, जो पूछता है हमसे सवाल "कहो ना प्यार है"
उसी का ही था हमको बरसों से इंतज़ार, उसी के लिए था दिल बेकरार,
कट तो गए बहुत दिन, बहुत रात और बहुत रास्ते,
पर अब सपना सच होता लगता है, कोई अपना होता लगता है.........:)

30 -07 -2011
सचिन जैन

Friday, July 22, 2011

वो हमसे पूछे क्यों नहीं तुम कुछ कहते, हम उनसे पूछे तुम तो कुछ कहते,

वो हमसे पूछे क्यों नहीं तुम कुछ कहते, हम उनसे पूछे तुम तो कुछ कहते,
बस ऐसे ही चलती रहती अपनी बातें,कट जाती है ऐसे ही अपनी तो प्यारी रातें,

कुछ बताओ, कभी तुम कुछ बताओ, यही हम दोनों करते,
तुम कुछ पूछ लो, तुम कुछ पूछ लो कभी यह हम करते रहते,
ना वो पूछे ना हम पूछे, ना वो बताते ना हम बतातें,
दोनों ही इतराते जाते और मन ही मन हम मुस्काते जाते,
वो हमसे पूछे क्यों नहीं तुम कुछ कहते, हम उनसे पूछे तुम तो कुछ कहते,

कभी हम पूछे क्या करते हो दिन भर, कभी ये पूछे खाना खाया,
कभी पूछे घर में सब कैसे, कभी पूछे दूसरों की खबरें,
कभी हम पूछे कुछ तो लिखो, कभी वो पूछे कुछ तो पढ़ाओ,
लिखने पड़ने में रह जाते, बस यूँ ही हम बात करते जाते,
वो हमसे पूछे क्यों नहीं तुम कुछ कहते, हम उनसे पूछे तुम तो कुछ कहते,

लगता है की क्या बातें करे कभी, फिर भी हम करते जाते,
रोज ना जाने क्या क्या बातें करते, रुकते जाते करते जाते,
मुस्काते है, इठलाते है, बात करते करते कभी कभी रुक जाते है,
पर सच कहता हूँ मैं तो की, मन तो बस बाते करने को ही करता जाता है,
वो हमसे पूछ क्यों नहीं तुम कुछ कहते, हम उनसे पूछे तुम तो कुछ कहते,

कभी वो अपनी सुनती जाती, और मैं बस सुनता चला जाता,
कभी मैं अपनी कुछ सुनाता हूँ , और वो बस सुनती चली जाती,
ऐसे ही कट जाती रातें, हो जाती कितनी ही बातें,
बातें तो बस चलती जाती, दूरियां सब मिटती जाती,
वो हमसे पूछ क्यों नहीं तुम कुछ कहते, हम उनसे पूछे तुम तो कुछ कहते,