Tuesday, July 19, 2011

जब जब मैं इन हाथ की रेखाओं को देखता हूँ...

जब जब मैं इन हाथ की रेखाओं को देखता हूँ
इनमे तुम्हारा चेहरा नजर आता है
आड़ी तिरछी रेखाओं से एक सूरत बन सी जाती है
ये सूरत मुझको मेरे सपनो में भी आती है

लोग अक्सर तलाशते हैं तकदीर हाथ की रेखाओं मैं
मैं तो अपनी तकदीर यानी तुम्हे ही देखता हूँ बस
मुझे भी यकीन है रेखाओं में छुपी होती है takdeer
इससलिए बस इन्हें ही निहारता हूँ........बस इन्हें ही निहारता हूँ.....:)

सचिन जैन

3 comments:

Dr. Akansha Jain said...

:).....

Anonymous said...

Bhai,aapko bhabhi pahle mil jana chahiye..isse hindustan ko dusra Ghalib mil jata.. :-)

bhagat said...

मैं भी अपनी तकदीर की रेखाओं को देख कर सोचता हूँ आखिर कब मेरे सपने १०% भी पूरे होंगे