मुश्किलें जीने का सहारा बन गई,
जिस दिन जीवन की हकीकत समझ आई मुझे,
सोचा ना तकलीफें आई तो क्या जिन्दगी बिताई ,
ना इम्तहान देने पड़े इस जीवन में तो ,
अपने जीने का मतलब ही क्या रह जाएगा ,
पूरा करने की कोशिश में इन इम्तहानो को ,
कुछ ख्वाब बन ही जाते हैं ,
और अक्सर ख्वाब टूट जाया करते हैं ,
पर क्या ख्वाब टूटने से इंसान भी टूट जाते हैं,
मेरे ख्याल में नहीं …………
ख्वाब टूटने से एक अनुभव जुड़ता हे ,
जोश दुगना करके फिर से ख्वाब पूरा करने की कोशिश करनी पड़ती हे ,
फिर कुछ ख्वाब टूट जाते हैं कुछ पूरे हो जाते हैं ,
यही ख्वाब ही तो जीवन को मकसद देते हैं ,
नहीं तो बिना मकसद ये जीवन किस काम का ,
जब हमे ना ये पता की हम कहाँ से आए हैं ,
और ना ये पता की कहाँ जाना हे ,
जिए जाते हैं हम सब जिए जाते हैं …..
बस शायद इन ख्वाबों को पूरा करने को ,
जिए जाते हैं…………………..
सचिन जैन
1 comment:
मुश्किलें जीने का सहारा बन गई,
जिस दिन जीवन की हकीकत समझ आई मुझे,
सोचा ना तकलीफें आई तो क्या जिन्दगी बिताई ,
" bhut khub, ager muhkile hee jine ka sahara bn jyen to jindgee aaan ho jaye, good expressions"
regards
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