Tuesday, October 07, 2008

मुश्किलें जीने का सहारा बन गई.......

मुश्किलें जीने का सहारा बन गई,
जिस दिन जीवन की हकीकत समझ आई मुझे,
सोचा ना तकलीफें आई तो क्या जिन्दगी बिताई ,
ना इम्तहान देने पड़े इस जीवन में तो ,
अपने जीने का मतलब ही क्या रह जाएगा ,
पूरा करने की कोशिश में इन इम्तहानो को ,
कुछ ख्वाब बन ही जाते हैं ,
और अक्सर ख्वाब टूट जाया करते हैं ,
पर क्या ख्वाब टूटने से इंसान भी टूट जाते हैं,

मेरे ख्याल में नहीं …………

ख्वाब टूटने से एक अनुभव जुड़ता हे ,
जोश दुगना करके फिर से ख्वाब पूरा करने की कोशिश करनी पड़ती हे ,
फिर कुछ ख्वाब टूट जाते हैं कुछ पूरे हो जाते हैं ,
यही ख्वाब ही तो जीवन को मकसद देते हैं ,
नहीं तो बिना मकसद ये जीवन किस काम का ,
जब हमे ना ये पता की हम कहाँ से आए हैं ,
और ना ये पता की कहाँ जाना हे ,
जिए जाते हैं हम सब जिए जाते हैं …..
बस शायद इन ख्वाबों को पूरा करने को ,
जिए जाते हैं…………………..

सचिन जैन

1 comment:

seema gupta said...

मुश्किलें जीने का सहारा बन गई,
जिस दिन जीवन की हकीकत समझ आई मुझे,
सोचा ना तकलीफें आई तो क्या जिन्दगी बिताई ,
" bhut khub, ager muhkile hee jine ka sahara bn jyen to jindgee aaan ho jaye, good expressions"

regards