Tuesday, July 29, 2008

सोते मैं जो देखे जाते............

सोते मैं जो देखे जाते, वो अक्सर सपने रह जाते,
जिनसे नीदें उड़ जाती हैं, वो ही सपने सच हो पाते,
नीदों में तो सबको आता है सपनो में खोये रहना,
सपनो की खातिर नीदें उड़ जाए ऐसा कम ही होता है,

8 comments:

Anonymous said...

bhut sundar. jari rhe.

बालकिशन said...

सही कहा है.
उम्दा लेखन.

Anonymous said...

अति सुंदर अभिव्यक्ति...... सपन संसार की.... आभार

Anonymous said...

तारों का गो शुमार में आना मुहाल है.....,पर किसी को नींद न आए तो कोई क्या करे.......

Udan Tashtari said...

सही है! बढ़िया.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

Sachin Jain said...

Thanks u all, it gives me motivation for more writing

Kannan said...

क्या सपनों का सम्भंद केवल रजनी से है?
दिनकर की यात्रा के संरक्षण मैं देखे गए स्वप्न ही तो निद्रा के वास्तविक बैरी हैं .