Monday, December 24, 2007

सफर एक नया शुरू हो पड़ा ह



सफर एक नया शुरू हो पड़ा है,
उम्मीदों उमंगो का नशा सा चढ़ा है,
थोड़ा सा अनुभव है, बहुत सारा जोश है,
थोड़ा-थोड़ा सा मुझको कुछ होश है,
सुन रहा हूँ मैं सबकी बातें सयानी,
करनी है फिर भी कुछ तो मनमानी,
सफर तो चलें हैं बहुत मैंने पहले,
मगर इस सफर मैं बहुत कुछ है पाना,
सिखाया है दुनिया ने जो कुछ भी मुझको,
उन सब बातों को यहाँ है आजमाना,
सपने बड़े हैं, आशा अधिक है,
कठनाइयों को है सारी अपनी भूल जाना,
यकीं ख़ुद पर बहुत है, विश्वास उस पर भी है,
है बुलंदियों के पार पहुँच के दुनिया को दिखाना,
इस सफर मैं मुश्किलें कितनी भी आएं,
जीत आखिरकार है मुझको एक दिन जाना.........

जीतना मुझको ही है विश्व तू बस देखना........ I am so confident now a days that it is not easy to beleive on my talks..................but let me assure the world..............I will make eveything happened................ you people just watch the show........

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना लिखी है।बधाई।

सिखाया ही दुनिया ने जो कुछ भी हमको,
उन सब बातों को यहाँ है आजमाना,
सपने बड़े हैं, आशा अधिक है,
कठनाइयों को है सारी अपनी भूल जाना,

बहुत सुन्दर बात कही है।

Sachin Jain said...

धन्यवाद परमजीत जी..........