जीवन के इस सफ़र में एक नई सी डगर है,
नई सी एक मंजिल है, नया सा कुछ अहसास है,
हर वक़्त मुझे अब तो चाहत का है नशा सा,
कुछ हूँ मैं खोया सा कुछ हूँ मैं बहका सा,
बन रही है नई आशाएं और एक विश्वास भी है,
मंजिल मिल ही जाएंगी ये एक अहसास भी है....:)
विरोध कुछ नया करने की प्रेरणा दे जाता है
जिस तरह घर्षण से ही गाडी चल पाती है,
ना अनुभव ना श्रेष्टता ना भाषा इससमे काम आए,
मन में हिया अगर विचार अच्छे तभी कविता कोई लिख पाए,
ना छोटा ना कोई बड़ा सभी एक सामान पाए,
दर्द दूसरों का मससूस हो तभी कविता बन पाए,