नया साल है लेकिन अपना वही हाल है,
नए सपने का फिर बुना जंजाल है, पुरानो सपनो का भी भंडार है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है....
सरकारों की वही चाल है, सबकी अपनी रोटी दाल है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है,
महंगाई की वही मार है, ना सबको यहाँ अब रोज़गार है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है,
जोश का भी कहाँ सवाल है, भय का चारो और हाल है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है,
ओबामा का हर जगह नाम है और जूतों का भी नया आयाम है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है,
दिल अब भी बेकरार है, शहनाई का इंतज़ार है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है,
करने अभी बहुत काम है, आराम का न नामोनिशान है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है,
कलम की भी शान बढ़ानी है, लोगो को कविताएँ पढ़वानी है,
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है.......
SACHIN JAIN
5 comments:
नया साल एक नया बबाल!
रोज़ वही रोटी दाल
नए साल मे वही हाल
नया साल एक नया बबाल!
bahut accha hai... sachai darshata hai... magar sacchai hamesha nirasha deti hai.... thoda aur ashawaadi bano
good one...
but kuch sachai hai jo apke bare me bhi hai sayad......
नया साल है लेकिन अपना वही हाल है.....
sirf kimten badh gai wahi daal hain...
Post a Comment