Tuesday, July 29, 2008

सोते मैं जो देखे जाते............

सोते मैं जो देखे जाते, वो अक्सर सपने रह जाते,
जिनसे नीदें उड़ जाती हैं, वो ही सपने सच हो पाते,
नीदों में तो सबको आता है सपनो में खोये रहना,
सपनो की खातिर नीदें उड़ जाए ऐसा कम ही होता है,

Tuesday, July 22, 2008

गर्व होता था मुझे कभी हिन्दुस्तानी होने पर,

गर्व होता था मुझे कभी हिन्दुस्तानी होने पर,
शर्म आती है मुझे अब हिन्दुस्तानी होने पर,
शरमसार हुआ है हर हिदुस्त्तानी पर सरकार खुशी मानती है,
लोकतंत्र की दुहाई देकर, नोटतंत्र चलाती है,
कुर्सी की दौड़ में पहले भी छिप-छिप कर बहुत खेल हुए,
इस बार तो ना खेल रहा ना दौड़ रही,
ईमान,धरम को मरे तो हुए बरसों मेरे यारो,
बची हुई शर्म की भी शमशान को कंधा दे आए,
दुःख इस बात की नही जो हुआ, वो तो सबको पता था,
दुःख इस बात का है की ५५० मैं से एक की भी आत्मा नही दिक्कारी,
नही होगा कुछ कहने से इनको, ये भी समाज का हिसा है,
हर आदमी हम सब मैं से ऐसा है, बस मौका मिलने का किस्सा है........will continue can not complete today