Monday, December 24, 2007

सफर एक नया शुरू हो पड़ा ह



सफर एक नया शुरू हो पड़ा है,
उम्मीदों उमंगो का नशा सा चढ़ा है,
थोड़ा सा अनुभव है, बहुत सारा जोश है,
थोड़ा-थोड़ा सा मुझको कुछ होश है,
सुन रहा हूँ मैं सबकी बातें सयानी,
करनी है फिर भी कुछ तो मनमानी,
सफर तो चलें हैं बहुत मैंने पहले,
मगर इस सफर मैं बहुत कुछ है पाना,
सिखाया है दुनिया ने जो कुछ भी मुझको,
उन सब बातों को यहाँ है आजमाना,
सपने बड़े हैं, आशा अधिक है,
कठनाइयों को है सारी अपनी भूल जाना,
यकीं ख़ुद पर बहुत है, विश्वास उस पर भी है,
है बुलंदियों के पार पहुँच के दुनिया को दिखाना,
इस सफर मैं मुश्किलें कितनी भी आएं,
जीत आखिरकार है मुझको एक दिन जाना.........

जीतना मुझको ही है विश्व तू बस देखना........ I am so confident now a days that it is not easy to beleive on my talks..................but let me assure the world..............I will make eveything happened................ you people just watch the show........

Friday, October 05, 2007

दोस्तों आज सुनो तुम भी एक बात

दोस्तों आज सुनो तुम भी एक बात
मुझ पर पड़ी है वक़्त की मार,
क्योंकि ये सहा मैंने खुद भी,
इससलिए आपको बताते हैं
बचपन की बात, पंडित जी बैढे है मेरे साथ,
मौसम भी है मस्त उनके हाथ में मेरा हस्त,
हस्त देखकर बोले,म मुह से कुछ मीदे बोल फैंके,
बोले तुम्हारे रहेगा हमेशा महफ़िलों में नाम,
सुनकर हो गया मैं बहुत हैरान,
सोचे पंडित जी कह रहे है तो शायद सच ही होगा,
पर हुआ कुछ यूँ दोस्तों की,
हम नाम वाली महफ़िलो के कभी सुरमा ना बन सके,
पर नाम वाली महफ़िलो के लोगो ने रखा हमारा नाम बदनाम

पहला काम शायद जिसने किया हमें बदनाम,
मैं लोगो से कहता था कुछ बढ़िया, सबको लगता बेकार की पुडिया,
लोग मुझसे जल्दी उकताते पर बेचारे जबरदस्ती मुस्काते,

एक और काम जिसने किया हमें बहुत बदनाम,
शायद लोगो को अपनी तारीफ है पसंद आती,
और झूदी तारीफ करनी हमको नहीं आती,

कुछ को मेरी आदत पसंद नहीं आती,
कुछ को सच्चाई बिल्ल्कुल नहीं भाति,
एक और बात जो आपको बतानी है,
मुझे नहीं मिली है अभी तक सफलता की पुडिया,
इससलिए डर लगता है लाने को जीवन में गुडिया,

और भी ऐसे बहुत है काम है जिसने किया मुझे बदनाम,
लेकिन तुम्हारे पास होंगे बहुत से काम,और हम तो ठहरे बदनाम,

कल तुम सब कुछ बन जाओगे, जीवन में बहुत सफलताक पाओगे,
कुछ हमारी ये कहानी याद रखोगे, कुछ भूल जाएंगे,
जो याद रखेंगे वो अपने बच्चो को हमारी कहानी सुनाएंगे,
हमारे साथ था एक इंसान पर जो था बदनाम,
करता हमशा ऐसा काम की था बहुत बदनाम,

कोशिश करेंगे हम की हो जाए अब इस दुनिया में बदनाम
शायद इसी तरह रह जाए इस दुनिया में अपना नाम........":)




जैसे ही मैंने सुना है farewell है होने वाली,
सोचा क्यूँ ना कुछ कहा जाए फिर से,
पर मैं घबरा गया कुछ सोचकर ,
मुझे 5 sep की याद आई,
सोचा सचिन जैन अब स्तागे पर गए तो होगी पिटाई ,
सेंदालो के साथ साथ लात घूंसों से भी होगी धुनाई,
फिर भी मैंने अपने दिल को कुछ हिम्मत बंधाई,
और कुछ लिखने के लिए हमने कलम उठाई,
सोचा अब तक जो लिखा उस पर मिली है गालिया,
चलो कुछ ऐसा लिखते है, शायद मिल जाए कुछ तालियाँ,

सोचते सोचते ख्याल आया,
ना जाने उप्पेर वाले के मन में क्या आई,
जो ये उसने ये हसीनाए बनाई,
ना सोचा उसने यारों इन फिजाओं का,
जो ये खूबसूरत बलाए बना डाली,
ना रहम आया यारो देखो उस्सको इन घटाओं पर,
जो उस्सने ये काली झुल्फे बना डाली,

ना सोचा यारों उस्सने इन फूलो के बारे में,
जो उसने गुलाब से सुन्दर चेहरे बना डाले,
ना आया याद उस्सको यारों चाचाहना चिड़ियों का,
जो उस्सने इनकी मुस्कराहट बना डाली,
ना ही रहम आया उसको इन जवान कलियों पर,
जो उस्सने मार डाले ऐसी कातिल अदाएं बना डाली,
जमी पर था सबसे गहरा समुन्द्र लेकिन मेरे यारो ,
उस्सने समुद्र से गहरी इनकी आँखे बना डाली,
जहाँ में मशहूर थी नजाकत फूल कलियों की,
यहाँ भी उसने होठो में अजब नजाकत दिखलाई,
महकती थी ये हवा कभी मदमस्त होकर,
पर अब जहाँ ये आँचल फैलाएं वही पर खुशबु फैला दे,
चाँद को भी दाग देकर दिया धोखा,
जो जमीं पर चाँद से भी खोबसूरत चेहरे बना डाले,
ना फरक पड़ता था पत्थरों को सूरज की गर्मी से,
पर इनकी आग ने बहुत से पत्थर दिल पिघला डाले,
लगता है बनने को धरती स्वर्ग से सुन्दर,
उसने ये फूल कलियों, फिजाओं से भी सुंदर हसिनाए बना डाली,
ना जाने उप्पेर वाले के मन में क्या आई,
जो ये उसने ये हसीनाए बनाई,

घटाओं से निकलती थी बिजली कभी कभी मेर यारों,
ये जिसको नजर भर देख ले वोही पे बिजली गिर जाए,
कहते है किस्मत से मिल जाता है ताज कुछ लोगो को,
पर इनकी शरारतों ने ना जाने कितने ताज chinwane ,
गवाह है इतिहास इस बात का सदियों से मेरे यारो,
हर लड़ाई में ये हसिनाए सबसे बड़ा कारण कहलाई,

aaj tak maine dekho sach bolaa to hameshaa mili gaaliyaan
aaj dekho kitnaa jhoot bola aur sab ladkiyaan bajaa rahi hai taaliyaan

मेरी जिंदगी में क्यूँ ऐसा लिखा है, जिसे देखो मेरे पीछे पड़ा है ,

मेरी जिंदगी में क्यूँ ऐसा लिखा है, जिसे देखो मेरे पीछे पड़ा है ,
हर आदमी देख कर है मुझे हैरान, और वो करना चाहता है मुझे परेशान ,
मैंने शायद कभी नहीं किया गलत काम, पता नहीं लोग फिर भी क्यूँ है परेशान ,
शायद उनको सच्चाई पसंद नहीं आती, या मेरी आदत उनको नहीं भाती,
कुछ तो है जो लोग इतना जलते हैं, ना जाने क्यूँ घूरकर निकलते है,
मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया, ना किसी का कभी दिल दुखाया,
पर ऐसा क्यूँ है मेरे साथ, आज तक मुझे समझ नही आया,
पता नहीं क्या हुई खता मुझसे, जो उप्पेर वाला रूठ गया मुझसे,
ना जाने उस्सने क्यूँ लिखा,
जो ये चाहे वो ना हो पाए, जो ना चाहे वो हो जाए,
ऐसी हो तकदीर मेरी, मैं जिंदगी भर समझ ना पाऊं

जीवन का भंवर........


फ़ंस से गए हैं,जीवन के इस भंवर में हम कितना,
ना रहना चाहे इसमे, ना ही चाहे इससे निकलना,
अगर रहना चाहे इसमे, तो पड़े जीवन के थपेड़े यहाँ,
अगर निकलना चाहे,तो है मजबूरियों का समंदर,
सामने खड़ी हैं, जिम्मेदारियां घड़ियाल की तरह,
बेबसी ऎसी, कि पहचान मिट रही है खुद के वजूद की,
रहना ही पसंद, क्योंकि निकलकर तो ड़र है डूब जाने का,
जीवन तो है, भवंर में जीने का भ्रम तो बना ही हुआ है,
अलग कुछ नहीं चाहे हम, बने हुए ही रास्तो पर चलना पसंद हमें,
ना बनाते कभी,नया रास्ता जिस पर दुनिया चलना चाहे,
नहीं सोचते हम कभी, कुछ प्रयास ही तो बनाते हैं वजूद को,
नहीं कोशिश करते, कभी हम भवंर से निकलने की,
निकलकर डूब भी गए तो क्या, जब एक दिन ड़ूबना है ही,
अलग पहचान रह जाएगी, भवंर से भी निकल पायेंगे हम,
ढोयेंगे नहीं फ़िर, जियेगें हम इस जीवन को…………………


सचिन जैन

Saturday, September 15, 2007

अनुभव जिन्दगी की बारीकियों का,...


अनुभव जिन्दगी की बारीकियों का,
अक्सर परेशानियों में हुआ करता है,
जैसे बचपन के दिनो का मजा,
नादानियों में हुआ करता है,

परेशानियों में जब अपनो की जरूरत आती है,
अक्सर आजमाईश हो ही जाया करती है,
इस दौर में कई बार ऎसा होता है,
कि गलतफ़हमियां टूट जाया करती है,

समय भी अक्सर अपने गुल दिखाता है,
कभी मजमा लगाता है, कभी मातम सुनाता है,
रास्ते बदलकर लोग जिन गलियों से निकले थे कभी,
अब वो उन गलियों से बचने को वे अपने रास्ते बदलते हैं

पूरा सा लगता ख्वाब जब टूट जाता है,
अक्सर नींद आँखो से उडं जााती है,
हंसने का बहाना मिल जाता है दुनिया को,
मुसकराकर कोई जब अपने गम छिपाता है,

जब दिमाग झटक देता है दिल की बातो को,
अक्सर दिल में कई सवाल उठ जाया करते हैं,
जब जिन्दगी टूट कर बिखर सी जाती है,
अक्सर जज्बात सिमट ही जाया करते हैं.....


सचिन जैन

Wednesday, August 15, 2007

मुश्किलें......

मुश्किलें जीने का सहारा बन गई ,
जिस दिन जीवन की हक़ीक़त समझ आई मुझे,
सोचा ना तक्लीफ़े आई तो क्या जिन्दगी बिताई,
ना इम्तहान देने पडे जिन्दगी में तो,
अपने जीने का क्या मतलब रह जाएगा,
पूरा करने की कोशिश में इन इम्तहानो को,
कुछ ख्वाब बन ही जाया करते हें,
और कुछ ख्वाब अक्सर टूट जाया करते हें,
पर क्या ख्वाब टूटने से इन्सान भी टूट जाते हें,

मेरे खयाल मे नहीं................

खवाब टूटने से एक अनुभव जुडता हॆ,
जोश दोगुना करके फिर से एक नया खवाब,
ओर उसको पूरा करने की कोशिश की जाती हे,
फिर कुछ ख्वाब पूरे हो जाते हे.
कुछ फिर भी टूट जाते हें,
नही तो बिना मकसद ये जीवन किस का
जब हमें ना ये पता हम कहां से आते हें ,
और ना ये पता कि कहां जाते हें,
जिए जाते हें हम सब जिए जाते हें,
बस शायद इन्हि खवाबो को पूरा करने के लिए,
बस जिए जाते हें,हम जिए जाते हैं.................................

सचिन जैन

Thursday, July 26, 2007

जीतना मुझको ही है विश्व तु बस देखना...............

देखता हूँ ऊपर वाले कब तक तु तड्पाएगा,
एक दिन तो तरस तुझको मुझ पर भी आएगा,
जिद्दी अगर तु है तो मैं भी कुछ कम नहीं,
कोशिश तु कितनी भी कर ले,होगी मेरी आँख नम नहीं,
देह पर अधिकार तेरा इसका चाहे कुछ भी कर ले,
मन मेरा है मेरे बस में तोड उसको कैसे पाएगा,
देखता हूँ कब तक तु मुझे मुशकिले दे पाएगा,
परिक्षाएं ले ले कर तु मेरी थक जाएगा,
हर इम्तहान में तु मुझको तैयार खड़ा पाएगा,
मुश्किलो में भी तु मुझे मुस्कराता पाएगा,
जितना तुझसे हो सके परिक्षाएं ले ले तु मेरी,
देखना ऎ विश्व एक दिन जीत मैं ही जाऊगां.............

Friday, July 13, 2007

समय का बीतना........

समय का बीतना तो एक सत्य है ,
उस पर विचार का कोई ओचित्य नही है,
विचार तो इस बात पर होना चाहिए कि ,
बीते हुए समय ने ह्में क्या दिया,
मीठे यादें, सुनहरे सपने, कुछ ज्ञान, कुछ विज्ञान,
अजनबी लोग, अनुभव,कुछ असफ़लताएं, कुछ सफ़लताएं,
और ऎसा बहुत कुछ जो इस जीवन के लिए जरूरी था..........

सचिन जैन

Thursday, July 05, 2007

डर रहा है दिल आज मेरा......

आँखो मैं है मेरे सपने हजार,
यकीं है मुझे अपने सपनो पर भी,
कुछ भी कर सकता हूँ मैं अपने सपनो के लिए,
फ़िर भी एक डर सा है आज सपने टूट जाने का,
बहुत सपने टूटे आज तक मैरे,
पर वो मुझे ना तोड पाए,
ना रुका ना झुका आज तक मैं,
डगर से मुझे हिला ना पाए,
पर ना जाने क्योंं आज एक हल्चल है,
क्यों डर रहा है दिल आज मेरा,
क्यों हो रही है अजब घबराहट सी,
मन मैं उठ रहे हैं हजार तूफ़ां,
बदन में लगी है एक आग सी,
आवाज मैं भी है एक हिच्किचाहट है,
होठ भी आज कापं रहे हैं,
डर नहीं है आज भी मुझको खुद के डूब जाने का,
डर तो है बस अपने सपने टूट जाने का....

सचिन जैन
05-07-07

Monday, June 25, 2007

दिल की बाते दिल में रह गई, हम कुछ भी ना कह पाए,


दिल की बाते दिल में रह गई, हम कुछ भी ना कह पाए,
कह देते तो शायद हम भी, इस प्यार का अनुभव पा जाते,
न्योछावर कर के उन पर सब कुछ, इस जहाँ को भूल जाते,
बाँहो में लेकर उनको हम,दिल की बात सुनाया करते,
छुप-छुप कर देखा करते,कुछ कहने की कभी कोशिश करते,
कह देते तो शायद हम भी, आशिक-वाशिक कहलाते,

रोज वो मेरे सपनो में आते,रोज उनको दिल की बाते बताते,
कुछ लिखते दिल की बाते, कुछ कविता कहने की कोशिश करते,
आँखे उनको ढूंढा करती, मन चंचल सा फ़िरता रहता,
कह देते तो शायद हम भी, शायर-वायर कहलाते,

चाँद पर कभी घर बनाते, कभी तारे तोड़ने की कोशिश करते,
कभी उनकी बातो पर रूठ जाते, कभी प्यार से उनको मनाते,
जाग-जाग कर राते कटती, दिल में हलचल हरदम रहती,
कह देते तो शायद हम भी, कुछ मीठी यादें पा जाते,

बहुत मुश्किल है इस दुनिया में सच्चा चाहने वाला मिलना,
मिल जाते हम उनको तो, वो अपनी किस्मत पर इतराते,
दुनिया बहुत जालिम है, ये हमको ना मिलने देती,
कह देते तो शायद हम भी, मँजनू-राझां कहलाते,

दिल की बाते दिल में रह गई, हम कुछ भी ना कह पाए,
कह देते तो शायद हम भी, इस प्यार का अनुभव पा जाते……………….
सचिन जैन

Saturday, June 02, 2007

गर्व होता था मुझे हिन्दुसतानी होने पर,


गर्व होता था मुझे हिन्दुसतानी होने पर,
शर्म आती है मुझे हिन्दुस्तानी होने पर,
क्या-क्या नही हो रहा हमारे हिन्दुस्तान में,
लोग जला रहे लोगो को मजहब के नाम पर,

क्या ये वही धरती है जहाँ भगवान नें जन्म पाया था,
क्या ये वही देश है जो कभी विश्व गुरू कहलाया था,
क्या ये वही जगह है जहाँ से विश्व ने अहिंसा का संदेश पाया था,
क्या यंही के लोगो ने कभी सभी धर्मो को अपनाया था,

यही पर सब धर्मो के लोग दीवाली में दिये जलाते थे,
ईद में सब मिल बाँट कर सेंवईया खाते थे,
सब धर्मो के त्याहारो में खुशियां मनाई जाती थी,
होली में ये धरती रंगो से सतरंगी हो जाती थी,

अब इसी धरती पर लोग लडते है मजहब के नाम पर,
त्योहार भी आजकल डर-डर के मनाये जाते है,
नहीं बटती अब कहीं सेंवईया ईद में,
दिये पटाखे भी अब तो कम जलाये जाते है,

कभी था अपना हिन्दुसतान ऎसा जहाँ सब एक थे,
तब नारा लगता था हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई आपस में है भाई-भाई का,
जब होता था ऎसा, तब गर्व होता था मुझे,
जाने क्यूँ हुआ ऎसा अब शर्म आती है मुझे हिन्दुस्तानी होने पर,

गर्व होता था मुझे कभी हिन्दुस्तानी होने पर,
शर्म आती है मुझे अब हिन्दुस्तानी होने पर……………. सचिन जैन